हज़रत अबुलहसन अली हाश्मी हनकारी
रहमतुह अल्लाह अलैहि
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की विलादत बासआदत ४०९हिज्री बमुक़ाम हुंकार निज़द मूसिल इराक़ में हुई। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का इस्म ग्राम अली हाश्मी रहमतुह अल्लाह अलैहि और कुनिय्यत अबुलहसन है।आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के वालिद का इस्म गिरामी हज़रत-ए-शैख़ मुहम्मद जाफ़र रहमतुह अल्लाह अलैहि है। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का सिलसिला नसब हज़रत मुहम्मद के चचाज़ाद और रज़ाई भाई हज़रत जै़द से जा मिलता है। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने इबतिदाई तालीम अपने वालिद हज़रत-ए-शैख़ मुहम्मद जाफ़र रहमतुह अल्लाह अलैहि से हासिल की।
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि अपने वक़्त के मुमताज़ तरीन उलमा मशाइख़ में शुमार होते थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने उलूम ज़ाहिरी वबातनी दोनों में कमाल हासिल किया। इलम फ़िक्ह, हदीस ग़रज़ तमाम जुमला उलूम पर महारत और शौहरत हासिल की। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने शेख़ अबवालाला मिस्री से सनद हदीस ली। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को हज़रत बाएज़ीद बस्तामी रहमतुह अल्लाह अलैहि से उवैसी निसबत थी जिस की वजह से आप रहमतुह अल्लाह अलैहि को उन से भी फ़ैज़ पहुंचा। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि अपने ज़माने में शेख़ उल-इस्लाम के लक़ब से मशहूर हुए।
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि अपने ज़माने के मशाहरकबार में से थे। साहिब ख़वारिक़-ओ-करामत, मुक़तिदा-ए-ज़माना साइम अलदहर और क़ायम अललील थे। तीन रोज़ के बाद रोज़ा इफ़तार करते थे। बादाज़ नमाज़ इशाता नमाज़ तहज्जुद दो क़ुरआन शरीफ़ ख़त्म करते थे। शब-ओ-रोज़ इबादत में मसरूफ़ रहते थे। रुम-ओ-शाम और हरमैन अलशरीफ़ तक का सफ़र किया और बेशुमार उलमा, फुज़ला, मशाइख़ और मुहद्दिसीन से मुलाक़ातें कीं और उन से अहादीस हिफ़्ज़ कीं और एक अर्सा के बाद अपने वतन मालूफ़ को वापिस हुए।
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने क़ुतुब वक़्त ग़ौस ज़माँ हज़रत अबवालफ़रह तरतोसी रहमतुह अल्लाह अलैहि से शरफ़ बैअत की सआदत हासिल की और उन्ही की नज़र कीमिया के असर से आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का क़लब वजगर रोशन-ओ-ताबनाक हुए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि हज़रत तरतोसी रहमतुह अल्लाह अलैहि के ख़लीफ़ा हैं।
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने पूरी ज़िंदगी इस्लाम की नशर वाशाअत में गुज़ार दी और अपने फ़्यूज़-ओ-बरकात से मख़लूक़ आलम को फ़ैज़याब करते रहे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि शरीयत मुहम्मदी (सल.) पर इस तरह क़ायम रहे कि आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का कोई भी क़दम शरीयत से बाहर ना था।
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि यक्म मुहर्रम-उल-हराम ४८६हिज्री में इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की आख़िरी आरामगाह बग़दाद के नज़दीक हुंकार गांव में है।